दुर्गा भाभी : जिन्होंने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के साथ मिलकर अंग्रेज़ो को च’टाई थी धूल
‘दुर्गा भाभी’ एक ऐसी वीरांगना जिनको बहुत लोग नहीं जानते हैं लेकिन आजादी की ल’ड़ाई में इन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया। इनसे अंग्रेजों के पसीने छूट गए थे। ‘दुर्गा भाभी’ ने देश को आजादी दिलाने के लिए आखिरी सांस तक ल’ड़ाई ल’ड़ी। भगत सिंह और प्रो. भगवती चरण बोहरा जैसे क्रांतिकारियों के साथ इन्होंने स्वतंत्रता दिवस की लड़ा’ई ल’ड़ी।
उत्तर प्रदेश के सिराथू तहसील क्षेत्र के शहजादपुर गांव में जन्मीं दुर्गा भाभी ने क्रां’तिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फिरंगियों से मोर्चा लिया। इस महान वीरांगना का जन्म सात अक्टूबर 1902 को शहजादपुर गांव में पं. बांके बिहारी के यहां हुआ था। क्रांतिकारियों के संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन (एचआरएसए) के मास्टर ब्रेन प्रो. भगवती चरण बोहरा की पत्नी दुर्गा का परिवार और मायका दोनों सम्पन्न थे। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे।
10 साल की उम्र में ही उनका विवाह एक रेलवे अधिकारी के बेटे से हो गया। शुरू से ही पति भगवती चरण बोहरा का रुझान क्रांतिकारी गतिविधियों में था, भगवती को ना सिर्फ बम बनाने में महारथ हासिल थी बल्कि वो अपने संगठन के ब्रेन भी कहे जाते थे। भगत सिंह के संगठन ‘नौजवान भारत सभा’ का मेनीफेस्टो भगवती ने ही तैयार किया था।
जब चंद्रशेखर आजाद की अगुआई में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के रूप में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में फिर से गठन हुआ, तो भगवती को ही उसके प्रचार की जिम्मेदारी दी गई। 19 दिसम्बर 1928 का दिन था, भगत सिंह और सुखदेव सांडर्स को गोली मारने के दो दिन बाद सीधे दुर्गा भाभी के घर पहुंचे थे।
दुर्गा भाभी ने अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत के एक्स गवर्नर लॉर्ड हैली पर हमला करने की योजना बनाई, दुर्गा ने उस पर 9 अक्टूबर 1930 को ब’म फेंका। 1956 में जब नेहरू को उनके बारे में पता चला तो लखनऊ में उनके स्कूल में एक बार मिलने आए। सरदार भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त जब केंद्रीय असेंबली में ब’म फेंकने जाने लगे तो दुर्गा भाभी और एक अन्य वीरांगना सुशीला मोहन ने अपनी उं’गुली का’टकर रक्त से दोनों क्रांतिकारियों को तिलक लगाया था। 10- 14 अक्टूबर, 1999 को गाजियाबाद के एक फ्लैट में उनकी मौ’त हो गई, तब वो 92 साल की थीं।
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