औरत हूं साहब!
कौन हो तुम?
मै औरत हूं साहब।
मेरा मतलब कौन जात की हो?
इससे कोई फर्क पडता है क्या?
पडता है, हमारी भावना इसपे ही निर्भर करती है।
क्या मै औरत हूं ये काफी नहीं है?
नहीं है।
अगर मै कहूं, मै उंची जात की हूं तो?
औरत को जादा सवाल नहीं पुछने चाहीये।
फिर भी मै जानना चाहती हूं।
मर्द कभी सच्चाई बताते नहीं, लेकीन तुमने पुछा इसलीये बता देता हूं।
उंची जात की हो या नीची जात की। औरत का कोई वजुद नहीं होता!
फिर क्यो पुछते हो?
क्यो की मै एक अच्छा मर्द हूं। और उंची जात की औरत की थोडी बहुत इज्जत करता हूं।
क्यो?
क्यो की मैं खुद उची जात का हूं।
अगर मैं कहू मैं नीची जात की हूं तो?
तो तुम पिटी जाओगी।
लुटी जाओगी।
भरे बाजार नीलाम हो जाओगी।
तुम्हारा जिस्म नोचा जायेगा।
तुम्हारा खून बहेगा।
दो चार हाड्डीया भी तूटेगी।
जादा बोलोगी तो जबान भी कटेगी।
अगर मैंने इसका विरोध किया तो?
फांशी देकर मार डालेंगे या फिर केरोसीन डालकर जला देंगे।
अगर मेरे घरवालोने आवाज उठाई तो?
नहीं उठा पायेगे।
क्यो?
नीची जातवालोंको आवाज उठाने की इजाजत नहीं है।
फिर भी हिंमत जुटाकर आवाज उठाई तो?
उनको भी मार देंगे।
उनका घर जला देंगे।
गाव से निकाल देंगे।
दर दर की ठोकरे खाने पर मजबूर कर देंगे।
अगर मैं पुलिस के पास गई तो?
पुलीस तो हमारी है।
हमारा कहा मानती है।
हमे क्या चाहीये ये जाणती है।
और एक बात तुम्हे पहले ही बता देता हूं!
पुलीस ही नहीं यहां का कानून, अदालत, सरकार और व्यवस्था भी हमारी है।
फिर मेरा क्या है?
जो हम देंगे।
आप तो कुछ देते नहीं?
"दर्द देते है।
गम देते है।
मार पीट करते है।
यौन शोषण करते है।"
क्या फिर इससें उची जात की औरत होना अच्छा है!
तुम सोचती बहुत हो, लेकीन गलत सोचती हो।
उसका भी शोषण होता है।
उसे भी मार पिट होती है।
सच कहूं तो वो भी जिल्लत की जिंदगी जिती है।
समाज से मूह छुपाकर रोती है।
क्यो?
क्योकीं वह उंची जात की होती है।
फिर वह तुम्हारा साथ क्यो देती है?
कुछ ना होने से किसीसे तो उपर होना अच्छा होता है।
बेहतर होना के एहसास उसका हर दर्द भूल देता है।
फिर सबको मार क्यो नहीं देते?
सबको मारेंगे तो राज किसपर करेंगे?
हमारे घर का काम कौन करेगा?
हमारे खेत मे हल कौन चालयेगा?
हमारी सेवा कौन करेंगा?
हम राजनिती किस आधारपर करेंगे?
हमे चुनाव मे वोट कौन देगा?
यह सिलसिला कब तक चलेगा?
जब तक तुम खुद को सिर्फ औरत समझोगी।
जब तक खुद को कमजोर औरत समझोगी।
जब तक खुद को उची या नीची समझती रहोगी।
©के.राहुल, 9096242452
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