लाल किले से ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले शाहनवाज को क्यों भूल गया ये शहर
‘क्या बात हुई क्या गरज पड़ी, ये रंग-ए-जहां बदला कैसा
मगरूरों का मजलूमों में सर रखना कैसा
हिंदू कैसा, मुस्लिम कैसा, ब्राह्मण कैसा, बनिया कैसा
हम वोट शाहनवाज को देंगे, हम वोट शाहनवाज को देंगे’
1952 में जब देश में लोकतंत्र की कोपलें फूट रहीं थीं तो भारत माता के सिपेहसालार जनरल शाहनवाज खान को मेरठ ने सिर आंखों पर बिठाया। पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जनरल शाहनवाज खान मेरठ के पहले सांसद बने। 1952 से 1971 तक लगातार चार बार सांसद चुने गए। जिस शहर की गली-गली में कभी शाहनवाज का नाम गूंजता था। आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल आज मेरठ में ही गुमनाम हैं।
मगरूरों का मजलूमों में सर रखना कैसा
हिंदू कैसा, मुस्लिम कैसा, ब्राह्मण कैसा, बनिया कैसा
हम वोट शाहनवाज को देंगे, हम वोट शाहनवाज को देंगे’
1952 में जब देश में लोकतंत्र की कोपलें फूट रहीं थीं तो भारत माता के सिपेहसालार जनरल शाहनवाज खान को मेरठ ने सिर आंखों पर बिठाया। पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जनरल शाहनवाज खान मेरठ के पहले सांसद बने। 1952 से 1971 तक लगातार चार बार सांसद चुने गए। जिस शहर की गली-गली में कभी शाहनवाज का नाम गूंजता था। आजाद हिंद फौज के पहले मेजर जनरल आज मेरठ में ही गुमनाम हैं।
रावलपिंडी में जन्मे थे जनरल साहब
मेजर जनरल शाहनवाज खान का जन्म 24 जनवरी 1914 को रावलपिंडी, पाकिस्तान के मटौर में हुआ था। पिता झंझुआ राजपूत कैप्टन सरदार टीका खान थे। वह 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अधिकारी नियुक्त हुए।
बता दें कि आजाद हिंदुस्तान में लालकिले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर सबसे पहले तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे। लालकिले पर हर शाम होने वाले प्रकाश एवं ध्वनि शो में नेताजी के साथ जनरल शाहनवाज की ही आवाज है। 23 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। 1952 में पॉर्लियामेंट्री सेक्रेटी, डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने। 1957-64 तक खाद्य एवं कृषि मंत्री रहे। शाहनवाज खान ने लंबे समय तक विविध मंत्रालय संभाले और देश को तरक्की का तोहफा बख्शा।
1952 में कुछ ऐसा था परिणाम लोकसभा क्षेत्र- मेरठ उत्तर पूर्व
कुल मतदाता 3 लाख 94 हजार 599
मत पड़े 2 लाख 09 हजार 89
प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
शाहनवाज खान कांग्रेस 1,25,288
सूरजबल स्वामी आरआरपी 36,136
राजसिंह राणा सोशलिस्ट 33,081
लक्ष्मीशंकर बीजेएस 7926
बाबूलाल वैश निर्दलीय 6658
कुल मतदाता 3 लाख 94 हजार 599
मत पड़े 2 लाख 09 हजार 89
प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
शाहनवाज खान कांग्रेस 1,25,288
सूरजबल स्वामी आरआरपी 36,136
राजसिंह राणा सोशलिस्ट 33,081
लक्ष्मीशंकर बीजेएस 7926
बाबूलाल वैश निर्दलीय 6658
कोई याद ही नहीं करता
रक्षापुरम से आगे एडब्ल्यूएचओ कॉलोनी में जनरल शाहनवाज खान की बहू, पोते और पूरा परिवार रहता है। जनरल खान के बड़े पोते आदिल खान कहते हैं, हमने कई बार सरकार और प्रशासन से कहा कि शहर में जनरल साहब की याद में कोई स्मारक बने, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमने ही 2010 में जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन बनाया। हर साल उनकी बरसी पर जामा मस्जिद के पास मजार पर आयोजन करते हैं। यह दुर्भाग्य और अपमान है उस सपूत का, जिसने आजादी की लड़ाई में अपने कदम नहीं डिगने दिए। नेहरू जी ने स्वयं जनरल साहब को मेरठ से चुनाव लड़ने भेजा था, लेकिन आज शहर उन्हें भुला चुका है। किराए की कोठी लेकर जनरल साहब मेरठ में रहे और चुनाव प्रचार किया।
रक्षापुरम से आगे एडब्ल्यूएचओ कॉलोनी में जनरल शाहनवाज खान की बहू, पोते और पूरा परिवार रहता है। जनरल खान के बड़े पोते आदिल खान कहते हैं, हमने कई बार सरकार और प्रशासन से कहा कि शहर में जनरल साहब की याद में कोई स्मारक बने, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमने ही 2010 में जनरल शाहनवाज मेमोरियल फाउंडेशन बनाया। हर साल उनकी बरसी पर जामा मस्जिद के पास मजार पर आयोजन करते हैं। यह दुर्भाग्य और अपमान है उस सपूत का, जिसने आजादी की लड़ाई में अपने कदम नहीं डिगने दिए। नेहरू जी ने स्वयं जनरल साहब को मेरठ से चुनाव लड़ने भेजा था, लेकिन आज शहर उन्हें भुला चुका है। किराए की कोठी लेकर जनरल साहब मेरठ में रहे और चुनाव प्रचार किया।
शालू अग्रवाल, अमर उजाला, मेरठ, Updated Fri, 24 Jan 2020 12:14 PM IST
Comments
Post a Comment