गॉड इज नॉट ग्रेट!
२१ व्या शतकात जगात जे महान लोक जन्माला आले त्यामध्ये नास्तिक विचारांची कास धरणारे विचारवंत म्हणून रिचर्ड डोकिन्स यांचे नाव सर्वात वरती असून त्यांच्यापाठोपाठ ख्रिस्तोपर हिंचेन यांचे नाव येते. त्यांनी २००७ मध्ये एक पुस्तक लिहिले आहे त्याचे नाव आहे "गॉड इज नॉट ग्रेट". या पुस्तकाचे आजच्या काळातील महत्व असे की, हिंचेन यांनी आपल्या पुस्तकात गेल्या ५००० वर्षांच्या मानवी इतिहासाचा धांडोळा घेतला असून या काळात मानवावर आलेल्या विविध आपत्तींमध्ये कोणत्याच धर्माचा कोणताही दव माणसाच्या मदतीला आला नसल्याचे सप्रमाण नमूद केलेले आहे. जगात माणसांच्या एकूण संख्येपैकी जेमतेम ५% लोक हुशार आणि बुद्धिमान असून त्यांनी नेहमीच प्रयत्नांची पराकाष्ठा करून संपूर्ण मानव जातील हरएक प्रकारच्या संकटातून बाहेर काढले आहे. उर्वरित जे ९५% लोक आहेत ते निर्बुद्ध आहेत आणि कल्पनेतील देव आणि धर्म या संकल्पनांना ते चिटकून आहेत.
जगातील सगळ्यात मोठा धर्म हा ख्रिचन धर्म असून त्यांचा त्यांनी मानलेला सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरू पोप हा इटलीतील रोम या शहरात राहतो. पण आज पोपचे निवासस्थान असलेले व्हॅटिकन सिटी पूर्णपणे लॉक डाउन असून जगातील सगळ्यात जास्त कोरोना संसर्गाचे मृत्यू इटलीत होत असताना पोप कुठे आहेत हे सांगता येणे कठीण आहे. अल्लाचे पवित्र तीर्थक्षेत्र असलेले मक्का आणि मदिना आज पूर्णपणे बंद आहेत आणि कोरोनाच्या संसर्गाने ख्रिचनांसह मुस्लिमही मरत आहेत. लोकसंख्येत दुसऱ्या क्रमांकावर असलेल्या हिंदूंची सर्व मंदिरे बंद असून जगप्रसिद्ध बालाजी, शिर्डी, वैष्णोदेवी मंदिर आणि परिसर पूर्णपणे बंद आहेत. जर जे सगळे देव इतके बलवान आहेत तर ते कोरोना सारख्या जीवाणूला का रोखू शकत नाहीत असाही प्रश्न उपस्थित होतो.
विज्ञान असे म्हणते की १४ दशलक्ष वर्षांपूर्वी बिगबँग च्या सिद्धांतात नमूद केल्याप्रमाणे विश्वाची तर ५ दशलक्ष वर्षांपूर्वी पृथ्वीची निर्मिती झाली.
21वीं सदी में दुनिया में जो पांच दस सबसे महान नास्तिक विचारक पैदा हुए हैं, उनमें से *रिचर्ड डॉकिंस* के बाद सबसे बड़ा नाम आता है, *किस्तोंपर हीचेन* का । उन्होंने 2007 में *"गॉड इज नॉट ग्रेट"* नाम की किताब लिखी और उस किताब में उन्होंने सैकड़ों सबूत दे कर यह साबित करने की प्रयास किया, कि पिछले 5000 साल में मानव जाति पर जितने भी महा भयंकर संकट आए हैं उस दौरान दुनिया के किसी भी ईश्वर, अल्लाह या गॉड ने मानव जाति की कोई मदद नहीं की। *मानव जाति में जो मुश्किल से 5% बुद्धिमान लोग हैं जिन्होंने मानव जाति को हर संकट के समय कोई न कोई रास्ता ढूंढ कर दिया है ।*
लेकिन धर्म के नाम पर जो लोग अपना पेट पालते हैं और अपने आप को धर्म का ठेकेदार और ईश्वर का प्रतिनिधि समझते हैं उन लोगों ने *मानव जाति के जो 95% लोग है, और जो जन्मजात बुद्धिहीन है, और जो किसी न किसी काल्पनिक सहारे के बगैर जी ही नहीं सकते,* ऐसे लोगों को बार-बार धर्म ने अपने जाल में जकड़ कर रखा है। दुर्भाग्य से आज किस्तोंपर हिचेन हमारे बीच नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस ने फिर एक बार किस्तोंपर हीचैन को सही साबित किया है। और यह भी साबित किया है कि कोरोना वायरस प्रकृति ने पैदा किया है, इंसान ने पैदा किए हुए ईश्वर गॉड और अल्लाह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । सिर्फ विज्ञान है जो उसे आज कंट्रोल करेगा।
सभी धर्मों के ठेकेदारों का यह सनातन दावा है कि, ईश्वर इस ब्रह्मांड का निर्माता है और वह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और हर जगह पर मौजूद है और उसकी मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है ।
दुनिया का सबसे बड़ा धर्म क्रिश्चन है और पूरी दुनिया के क्रिश्चन लोगों का सबसे बड़ा गुरु इटली के रोम शहर में रहता है, जिसे वेटिकन सिटी कहा जाता है। आजकल कोरोना के डर से इटली के सभी चर्च और वेटिकन सिटी लॉक डाउन है और उनका सबसे बड़ा धर्म गुरु यानी पोप कहीं छुप कर बैठा है। दुनिया का सेकंड नंबर का धर्म इस्लाम है और दुनिया भर में फैले मुसलमानों की सबसे पवित्र भूमि और पवित्र धर्मस्थल मक्का मदीना है, वह भी आज पूरी तरह से बंद है। और दुनिया के तीसरे नंबर का धर्म यानी हिंदू धर्म और उसके सभी प्रसिद्ध धर्मस्थल जैसे कि चारों धाम, बालाजी मंदिर, शिर्डी के साईं बाबा का मंदिर, जम्मू के वैष्णो देवी का मंदिर और बहुत सारे छोटे-मोटे मंदिर आज लॉक डाउन है। दुनिया के किसी भी धर्म मे और किसी भी भगवान में इतनी ताकत नहीं है की वह कोरोना नाम के एक मामूली कीटाणु को रोक सकें ।
कोरोना वायरस ने फिर एक बार साबित किया है की ईश्वर, गॉड या अल्लाह यह सब पाखंड है । धर्म के ठेकेदारों ने बुद्धिहीन लोगों के अज्ञान और डर का फायदा उठाकर उनका शोषण करने के लिए दुनिया भर में बड़े-बड़े धर्मस्थल बना रखे हैं। और हजारों सालों से भोली भाली जनता के अज्ञान और डर का नाजायज फायदा उठा रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं।
जब हजारों लोग मुंबई से शिरडी तक बिना चप्पल पहने हुए पैदल जाते हैं और साईं बाबा को अच्छी बीवी, अच्छी नौकरी, अच्छी संतान और धंधे मे मुनाफा मांगते हैं और समझते हैं कि साईं बाबा उनको यह सब कुछ दे देगा। यदि साईं बाबा या बालाजी या वैष्णो देवी या अजमेर शरीफ या फिर मक्का मदीना और वेटिकन सिटी अपने भक्तों की ऐसी छोटी मोटी मांगे और मुरादे पूरी करते है और मानव जाति का हमेशा हित और सुख देखते हैं, तो फिर आज सारे के सारे छुपकर क्यों बैठे हैं ? कोरोना में ज्यादा ताकत है या फिर ईश्वर, अल्लाह या गॉड में ज्यादा ताकत है ?
विज्ञान कहता है 14 बिलियन साल पहले बिग बैंग के माध्यम से इस विश्व की निर्मिती हुई। और लगभग 5 बिलियन ईयर पहले पृथ्वी की निर्मिति हुई । इस पृथ्वी पर आज तक विज्ञान ने लगभग 8 मिलियन प्रजातियां आईडेंटिफाई की है, और मानव जाति होमोसेपियन 18 मिलियन प्रजातियों में से एक प्रजाति है। और इस विश्व के अनगिनत साल के इतिहास में मानव जाति का कोई अता पता नहीं था, मानव जाति मुश्किल से पिछले चार मिलियन साल से इस पृथ्वी पर आई है। आज तक कई प्रजातियां पृथ्वी में आई कुछ साल तक रही और जलवायु बदलते ही नष्ट हो गई। मानव जाति भी इस पृथ्वी पर हमेशा रहेगी इसका कोई भरोसा नहीं है। जिस तरह डायनासोर और न जाने कितनी प्रजाति है आई और गई और इंसान भी इनमें से एक मामूली प्रजाति है।
इस विश्व को चलाने वाली एक शक्ति है इसे विज्ञान नेचर या प्रकृति के नाम से जानता है। और विज्ञान यह भी मानता है कि प्रकृति एक निश्चित नियमों के अनुसार इसको चलाती है। यदि इस प्रकृति पर काबू पाना है तो हमारे हाथ में सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है इस प्रकृति के रहस्य में नियमों को अनुसंधान संशोधन और प्रयोग के द्वारा जान लेना। आज तक विज्ञान ने प्रकृति के बहुत सारे नियमों को खोज लिया है और विज्ञान की खोज निरंतर जारी है। दुनिया के सारे धर्म हमको सिर्फ प्रकृति की पूजा करने की शिक्षा देते हैं और यह कहते हैं की पूजा करने से प्रकृति प्रसन्न होगी और हमारी मांगे और मुरादे पूरी करेगी। दुनिया के सारे धर्मों की यह मूलभूत शिक्षा ही सरासर झूठ है। विज्ञान ने इस बात को साबित किया है, पूजा पाठ करने से प्रकृति अपने नियम कभी नहीं बदलती यदि प्रकृति पर काबू पाना है तो उसका एकमात्र रास्ता है प्रकृति के नियमों को जानना। आज तक दुनिया में मानव जाति के सामने जितनी भी समस्याएं आई जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं, और सभी प्रकार की संसर्गजन्य बीमारियां । किसी भी धर्म ने या धर्म गुरु ने या ईश्वर ने इनमें से एक भी बीमारियों का कोई इलाज मानव जाति को नहीं दिया । यह तो सिर्फ विज्ञान जिसने, मलेरिया इनफ्लुएंजा कॉलरा स्मॉल पॉक्स और कितनी बीमारी पर साइंस ने दवाइयां खोजी है और इन महामारीयों को हमेशा के लिए दुनिया से मिटा दिया है । कोरोना के ऊपर भी बहुत जल्द साइंस इलाज ढूंढ के निकालेगा ।
आज तक मानव जाति के ऊपर जब भी कोई बड़ा संकट आता है तो सारे मानव अपने अपने तीर्थ स्थल पर जाकर भगवान अल्लाह या गॉड के सामने झुक जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस ने तो यह रास्ता भी बंद कर दिया है। अभी सिर्फ हमारे सामने एक ही रास्ता है और वह है विज्ञान का। सारे भगवान छुप कर बैठे हैं हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है हॉस्पिटल का। यह रास्ता हमें भगवान ने नहीं विज्ञान ने दिया है। किसलिए कोरोना वायरस से कुछ सीख लो! विज्ञान वादी बनो और जाति धर्म के सांचे से बाहर निकल कर एक नजर से हर इंसान और प्रकृति से प्रेम करना सीखो ।
*C/p from FB Wall of Advocate Gopal Bhagat*
२१ व्या शतकात जगात जे महान लोक जन्माला आले त्यामध्ये नास्तिक विचारांची कास धरणारे विचारवंत म्हणून रिचर्ड डोकिन्स यांचे नाव सर्वात वरती असून त्यांच्यापाठोपाठ ख्रिस्तोपर हिंचेन यांचे नाव येते. त्यांनी २००७ मध्ये एक पुस्तक लिहिले आहे त्याचे नाव आहे "गॉड इज नॉट ग्रेट". या पुस्तकाचे आजच्या काळातील महत्व असे की, हिंचेन यांनी आपल्या पुस्तकात गेल्या ५००० वर्षांच्या मानवी इतिहासाचा धांडोळा घेतला असून या काळात मानवावर आलेल्या विविध आपत्तींमध्ये कोणत्याच धर्माचा कोणताही दव माणसाच्या मदतीला आला नसल्याचे सप्रमाण नमूद केलेले आहे. जगात माणसांच्या एकूण संख्येपैकी जेमतेम ५% लोक हुशार आणि बुद्धिमान असून त्यांनी नेहमीच प्रयत्नांची पराकाष्ठा करून संपूर्ण मानव जातील हरएक प्रकारच्या संकटातून बाहेर काढले आहे. उर्वरित जे ९५% लोक आहेत ते निर्बुद्ध आहेत आणि कल्पनेतील देव आणि धर्म या संकल्पनांना ते चिटकून आहेत.
जगातील सगळ्यात मोठा धर्म हा ख्रिचन धर्म असून त्यांचा त्यांनी मानलेला सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरू पोप हा इटलीतील रोम या शहरात राहतो. पण आज पोपचे निवासस्थान असलेले व्हॅटिकन सिटी पूर्णपणे लॉक डाउन असून जगातील सगळ्यात जास्त कोरोना संसर्गाचे मृत्यू इटलीत होत असताना पोप कुठे आहेत हे सांगता येणे कठीण आहे. अल्लाचे पवित्र तीर्थक्षेत्र असलेले मक्का आणि मदिना आज पूर्णपणे बंद आहेत आणि कोरोनाच्या संसर्गाने ख्रिचनांसह मुस्लिमही मरत आहेत. लोकसंख्येत दुसऱ्या क्रमांकावर असलेल्या हिंदूंची सर्व मंदिरे बंद असून जगप्रसिद्ध बालाजी, शिर्डी, वैष्णोदेवी मंदिर आणि परिसर पूर्णपणे बंद आहेत. जर जे सगळे देव इतके बलवान आहेत तर ते कोरोना सारख्या जीवाणूला का रोखू शकत नाहीत असाही प्रश्न उपस्थित होतो.
विज्ञान असे म्हणते की १४ दशलक्ष वर्षांपूर्वी बिगबँग च्या सिद्धांतात नमूद केल्याप्रमाणे विश्वाची तर ५ दशलक्ष वर्षांपूर्वी पृथ्वीची निर्मिती झाली.
21वीं सदी में दुनिया में जो पांच दस सबसे महान नास्तिक विचारक पैदा हुए हैं, उनमें से *रिचर्ड डॉकिंस* के बाद सबसे बड़ा नाम आता है, *किस्तोंपर हीचेन* का । उन्होंने 2007 में *"गॉड इज नॉट ग्रेट"* नाम की किताब लिखी और उस किताब में उन्होंने सैकड़ों सबूत दे कर यह साबित करने की प्रयास किया, कि पिछले 5000 साल में मानव जाति पर जितने भी महा भयंकर संकट आए हैं उस दौरान दुनिया के किसी भी ईश्वर, अल्लाह या गॉड ने मानव जाति की कोई मदद नहीं की। *मानव जाति में जो मुश्किल से 5% बुद्धिमान लोग हैं जिन्होंने मानव जाति को हर संकट के समय कोई न कोई रास्ता ढूंढ कर दिया है ।*
लेकिन धर्म के नाम पर जो लोग अपना पेट पालते हैं और अपने आप को धर्म का ठेकेदार और ईश्वर का प्रतिनिधि समझते हैं उन लोगों ने *मानव जाति के जो 95% लोग है, और जो जन्मजात बुद्धिहीन है, और जो किसी न किसी काल्पनिक सहारे के बगैर जी ही नहीं सकते,* ऐसे लोगों को बार-बार धर्म ने अपने जाल में जकड़ कर रखा है। दुर्भाग्य से आज किस्तोंपर हिचेन हमारे बीच नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस ने फिर एक बार किस्तोंपर हीचैन को सही साबित किया है। और यह भी साबित किया है कि कोरोना वायरस प्रकृति ने पैदा किया है, इंसान ने पैदा किए हुए ईश्वर गॉड और अल्लाह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । सिर्फ विज्ञान है जो उसे आज कंट्रोल करेगा।
सभी धर्मों के ठेकेदारों का यह सनातन दावा है कि, ईश्वर इस ब्रह्मांड का निर्माता है और वह सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और हर जगह पर मौजूद है और उसकी मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है ।
दुनिया का सबसे बड़ा धर्म क्रिश्चन है और पूरी दुनिया के क्रिश्चन लोगों का सबसे बड़ा गुरु इटली के रोम शहर में रहता है, जिसे वेटिकन सिटी कहा जाता है। आजकल कोरोना के डर से इटली के सभी चर्च और वेटिकन सिटी लॉक डाउन है और उनका सबसे बड़ा धर्म गुरु यानी पोप कहीं छुप कर बैठा है। दुनिया का सेकंड नंबर का धर्म इस्लाम है और दुनिया भर में फैले मुसलमानों की सबसे पवित्र भूमि और पवित्र धर्मस्थल मक्का मदीना है, वह भी आज पूरी तरह से बंद है। और दुनिया के तीसरे नंबर का धर्म यानी हिंदू धर्म और उसके सभी प्रसिद्ध धर्मस्थल जैसे कि चारों धाम, बालाजी मंदिर, शिर्डी के साईं बाबा का मंदिर, जम्मू के वैष्णो देवी का मंदिर और बहुत सारे छोटे-मोटे मंदिर आज लॉक डाउन है। दुनिया के किसी भी धर्म मे और किसी भी भगवान में इतनी ताकत नहीं है की वह कोरोना नाम के एक मामूली कीटाणु को रोक सकें ।
कोरोना वायरस ने फिर एक बार साबित किया है की ईश्वर, गॉड या अल्लाह यह सब पाखंड है । धर्म के ठेकेदारों ने बुद्धिहीन लोगों के अज्ञान और डर का फायदा उठाकर उनका शोषण करने के लिए दुनिया भर में बड़े-बड़े धर्मस्थल बना रखे हैं। और हजारों सालों से भोली भाली जनता के अज्ञान और डर का नाजायज फायदा उठा रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं।
जब हजारों लोग मुंबई से शिरडी तक बिना चप्पल पहने हुए पैदल जाते हैं और साईं बाबा को अच्छी बीवी, अच्छी नौकरी, अच्छी संतान और धंधे मे मुनाफा मांगते हैं और समझते हैं कि साईं बाबा उनको यह सब कुछ दे देगा। यदि साईं बाबा या बालाजी या वैष्णो देवी या अजमेर शरीफ या फिर मक्का मदीना और वेटिकन सिटी अपने भक्तों की ऐसी छोटी मोटी मांगे और मुरादे पूरी करते है और मानव जाति का हमेशा हित और सुख देखते हैं, तो फिर आज सारे के सारे छुपकर क्यों बैठे हैं ? कोरोना में ज्यादा ताकत है या फिर ईश्वर, अल्लाह या गॉड में ज्यादा ताकत है ?
विज्ञान कहता है 14 बिलियन साल पहले बिग बैंग के माध्यम से इस विश्व की निर्मिती हुई। और लगभग 5 बिलियन ईयर पहले पृथ्वी की निर्मिति हुई । इस पृथ्वी पर आज तक विज्ञान ने लगभग 8 मिलियन प्रजातियां आईडेंटिफाई की है, और मानव जाति होमोसेपियन 18 मिलियन प्रजातियों में से एक प्रजाति है। और इस विश्व के अनगिनत साल के इतिहास में मानव जाति का कोई अता पता नहीं था, मानव जाति मुश्किल से पिछले चार मिलियन साल से इस पृथ्वी पर आई है। आज तक कई प्रजातियां पृथ्वी में आई कुछ साल तक रही और जलवायु बदलते ही नष्ट हो गई। मानव जाति भी इस पृथ्वी पर हमेशा रहेगी इसका कोई भरोसा नहीं है। जिस तरह डायनासोर और न जाने कितनी प्रजाति है आई और गई और इंसान भी इनमें से एक मामूली प्रजाति है।
इस विश्व को चलाने वाली एक शक्ति है इसे विज्ञान नेचर या प्रकृति के नाम से जानता है। और विज्ञान यह भी मानता है कि प्रकृति एक निश्चित नियमों के अनुसार इसको चलाती है। यदि इस प्रकृति पर काबू पाना है तो हमारे हाथ में सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है इस प्रकृति के रहस्य में नियमों को अनुसंधान संशोधन और प्रयोग के द्वारा जान लेना। आज तक विज्ञान ने प्रकृति के बहुत सारे नियमों को खोज लिया है और विज्ञान की खोज निरंतर जारी है। दुनिया के सारे धर्म हमको सिर्फ प्रकृति की पूजा करने की शिक्षा देते हैं और यह कहते हैं की पूजा करने से प्रकृति प्रसन्न होगी और हमारी मांगे और मुरादे पूरी करेगी। दुनिया के सारे धर्मों की यह मूलभूत शिक्षा ही सरासर झूठ है। विज्ञान ने इस बात को साबित किया है, पूजा पाठ करने से प्रकृति अपने नियम कभी नहीं बदलती यदि प्रकृति पर काबू पाना है तो उसका एकमात्र रास्ता है प्रकृति के नियमों को जानना। आज तक दुनिया में मानव जाति के सामने जितनी भी समस्याएं आई जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं, और सभी प्रकार की संसर्गजन्य बीमारियां । किसी भी धर्म ने या धर्म गुरु ने या ईश्वर ने इनमें से एक भी बीमारियों का कोई इलाज मानव जाति को नहीं दिया । यह तो सिर्फ विज्ञान जिसने, मलेरिया इनफ्लुएंजा कॉलरा स्मॉल पॉक्स और कितनी बीमारी पर साइंस ने दवाइयां खोजी है और इन महामारीयों को हमेशा के लिए दुनिया से मिटा दिया है । कोरोना के ऊपर भी बहुत जल्द साइंस इलाज ढूंढ के निकालेगा ।
आज तक मानव जाति के ऊपर जब भी कोई बड़ा संकट आता है तो सारे मानव अपने अपने तीर्थ स्थल पर जाकर भगवान अल्लाह या गॉड के सामने झुक जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस ने तो यह रास्ता भी बंद कर दिया है। अभी सिर्फ हमारे सामने एक ही रास्ता है और वह है विज्ञान का। सारे भगवान छुप कर बैठे हैं हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है हॉस्पिटल का। यह रास्ता हमें भगवान ने नहीं विज्ञान ने दिया है। किसलिए कोरोना वायरस से कुछ सीख लो! विज्ञान वादी बनो और जाति धर्म के सांचे से बाहर निकल कर एक नजर से हर इंसान और प्रकृति से प्रेम करना सीखो ।
*C/p from FB Wall of Advocate Gopal Bhagat*
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