गंगा तेरे गोद में
गंगा तेरे गोद में ना जाने कितने राज छुपे है।
आंखे खोल के देख जरा, तेरे किनारे लाशोंके ढेर बिछे है।
लेकिन शव इन्सान के है, बहुत आम बात है।
बात कुछ और होती अगर इन्सान की जगह गाय होती।
गाय को अपनी माई कहने वालों की बड़ी अलग राय होती।
अखबारों की सुर्खियों में होते छाती पिटकर रोने वाले।
रास्तों पर उतर आते तिलक, तराजू और तलवारवाले।
राम नाम के नारे लगते, हिन्दू खतरें में सारे लगते।
लेकिन शव इन्सान के है, बहुत आम बात है।
हर रोज मरते है इंसान तेरे किनारे।
कुछ जिंदगीसे तंग आकर,
और बहुत सारे मारे जाते है जात, धर्म और लिंग देखकर।
कुछ लग जाते है गले तुम्हारे, राजी खुशी से माँ समझकर।
तो कुछ फेके जाते है, कफन के पैसे न होनेसे बेबस होकर।
लेकिन शव इन्सान के है, बहुत आम बात है।
सुना है गंगा,
तेरी गोद मे डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते है।
जो इन्सान इन्सान ना रहे वह खाक में मिल जाते है।
यह कहावत है या हकीकत, मालूम नही।
लेकिन तू चुपचाप बह रही रह है, शव किनारे धकेलकर।
चुप्पी तेरी देखकर कभी कभी लगता है, तु भी हम सबकी तरह आम है।
जिनके बगल में छुरी, उनकेही मुँह में राम है।
क्योंकी शव इन्सान के है, बहुत आम बात है।
गंगा आज तू फिरसे मैली हो गई है।
लगता है भक्तों के पाप धोते धोते तू खुद बदफ़ैली हो गई है।
भूकसे तड़पते इन्सान शव खाते नजर आए।
तेरे नाम की माला जपते कितने भक्त वहाँसे गुजर गए।
फिर भी तू चुप है।
लगता है शव इन्सान के है इसलिए।
के.राहुल, 9096242452
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