#बहुजन_नायक_पेरियार
पेरियार रामास्वामी नायकर जी के जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक बधाई...
जानिए कौन है पेरियार? अगर वो जिंदा हो गये तो मर जायेंगे संघी!!
जी हाँ, क्रांतिकारी और आधुनिक विचारक द ग्रेट पेरियार रामास्वामी नायकर की मूर्ति तोड़कर उन्हें जिंदा करने के लिए संघियो को बधाई ...
इस देश के इतिहास के आधुनिक युग में विज्ञान बोध और तार्किकता के एक ऐसे क्रांतिकारी विचारक थे, जिन्होंने समाज के दलित पिछड़े समुदाय को सम्मान से जीने और समाज में बराबर के अधिकार पाने का रास्ता सफलतापूर्वक दिखाया।
पेरियार एकमात्र ऐसे बडे़ कारक और विचारक थे, जिन्होंने दक्षिण भारत की राजनीति से ब्राह्मणवाद के पैर उखाड़ दिये और समाज व्यवस्था तथा राजनीति में दलित पिछडे़ समाज को वर्तमान इतिहास के शिखर पर बैठा दिया। तमिलनाडु की राजनीति में आज भी पेरियार रामास्वामी नायकर की परिकल्पना साकार हुई देखी जा सकती है। पेरियार एक अच्छे व्यवसायी परिवार में जन्मे थे लेकिन वे लगातार महसूस कर रहे थे कि ब्राह्मण, दलित और पिछड़ों को घोर अपमान के साथ नारकीय जीवन जीने को मजबूर करते रहे है । ये उसी पेरियार साहब के विचार है जिन्होंने ब्राह्मण पुत्री जयललिता और करुणानिधि को 69% आरक्षण देने के लिए बाध्य कर दिया था ....फिर वही कह रहा हूँ। जिसका श्रेय आप जयललिता को देते है! क्योंकि आप मंद बुद्धि और बेवकूफ है। आप पेरियार विरोधी मीडिया के प्रभाव में अभी भी जी रहे है।
आरक्षण माया और मुलायम को गाली देने से नहीं बल्कि पेरियार पैदा करने से मिलेगा।
पेरियार साहब के विचार:
👉 ब्राह्मण आपको भगवान के नाम पर मूर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है और स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तुम्हें अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है. देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है. मैं इस दलाली की निंदा करता हूँ और आपको भी सावधान करता हूँ कि ऐसे ब्राह्मणों का विश्वास मत करो.
👉 उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहें, उन पुराणों ओर इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवताओं को शक्ति प्रदान करते हैं. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने के लिये जिम्मेदार हैं तो ऐसे देवताओं को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानो, अगर मनुस्मृति, गीता या अन्य कोई पुराण आदि है तो इसको जलाकर राख कर दो. अगर ये मंदिर, तालाब या त्यौहार है तो इनका बहिष्कार कर दो. अगर हमारी राजनीति ऐसा करती है तो इसका खुले रूप में पर्दाफाश करो.
👉 संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं और यही नहीं, बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए हैं. इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारण उनका धार्मिक शोषण करना आसान है.
👉 आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा. अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो.
👉 ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की.
👉 सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं, तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊँच व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है.
👉 संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है, परन्तु हिंदू-आर्य, वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते हैं कि यह धर्म एकता और मैत्री के लिए नहीं है.
👉 ऊँची-ऊँची लाटें किसने बनवाईं? मंदिर किसने बनाए? क्या ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया?
👉 ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व, गुण, कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके और स्वयभू भूदेवता बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है.
👉 सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए, हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते.
👉 हमारे देश को वास्तविक आजादी तभी मिली समझाना चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता, अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जायेंगे.
👉 आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्ष यान भेज रहे है. हम ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्धो द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल ओर खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है?
👉 ब्राह्मणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नहीं रहना चाहते तो आप भले ही जहन्नुम में जाएें, परन्तु कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबतें खड़ी न करें.
👉 ब्राह्मण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है? समय बदल गया है, उन्हें नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा.
जी पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया।
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*पेरियार इरोड वेंकट नायकर रामसामी* (१७ सप्टेंबर, इ.स. १८७९ - २४ डिसेंबर, इ.स. १९७३) जयंती विशेष...
पेरियार रामसामी यांनी तमिळनाडूतील ब्राम्हणेत्तर समाजात समाजजागृती कशी केली होती- ब्राम्हणेत्तर समाजाची जागृती करण्यासाठी ते गळ्यात ढोल अडकावायचे व ढोलाच्या दोन्ही बाजूला देवीदेवतांची चित्रे चिटकावयाचे व त्या चिटकवलेल्या देवी-देवतांच्या फोटोला पायातील बूट व चप्पलांनी बडवायचे. ते असे यासाठी करायचे कि, आपल्या बहुजन समाजावर देवी-देवतांचा फार मोठा पगडा आहे. ब्राह्मणांनी बहुजनांच्या मनात देवी-देवतांची फार मोठी भीती निर्माण केली आहे. हा खरा दहशतवाद आहे आणि हा दहशतवाद ब्राह्मणांनी जाणीवपूर्वक निर्माण केलेला आहे. जर देवाला मानले नाही, देवाची पूजा केली नाही, देवाचा नवस फेडला नाही, देवाला नारळ फोडला नाही, देवाला उदबत्ती लावली नाही, देवाच्या पाया पडले नाही तर देव कोपतो, रागावतो, शाप देतो आणि मग आपले वाटोळे होते, आपला सत्यानाश होतो, आपल्यावर आपत्ती कोसळते, आपल्यावर संकट येते. अशा ब्राह्मणांनी थापा मारल्या आणि त्या आपल्या अज्ञानी लोकांना खऱ्या वाटल्या. हा खरा दहशतवाद आहे. तो दहशतवाद घालविण्यासाठी त्यांनी देवी-देवतांना चपलांनी बडविण्याचा कार्यक्रम केला. त्यानंतर रामसामी हे देवी-देवतांना हातगाड्यांवर ठेवायचे तो हातगाडा चेन्नईच्या चौकात आणायचे व त्या हातगाड्यावरील एका-एका देवी-देवताला पायातील पायातानाने बडवायचे व बडवतांना लोकांना सांगायचे “हा तुमचा राम, मी ह्याला चपलेने बडवतो आहे. तो राम स्वतःला वाचवू शकत नाही. तर मग तुम्हाला कसे वाचवू शकेल ?” रामाचा नंबर झाला कि, दुसऱ्या देवाला पायातील जोड्याने बडवायचे. हे देवी-देवता आपले रक्षण करतील, आपल्याला वाचवतील, आपल्या मदतीला धावून येतील अशा भ्रामक कल्पनेतून बहुजनांना बाहेर काढण्यासाठी अशाप्रकार रामसामी यांनी समाज जागृतीचे कार्य केले. रामसामी आपल्या भाषणात लोकांना विचारायचे “जर साप आणि ब्राम्हण एकाच वेळी दिसला तर तुम्ही कोणाला माराल?” लोक उत्तर द्यायचे “सापाला” त्यावर रामसामी म्हणत “सापाला बिलकुल मारू नका.” तेव्हा लोक विचारायचे, “मग कोणाला मारायचे?” त्यावर रामसामी लोकांना सांगायचे, “सापाला सोडून द्या आणि ब्राह्मण ठेचून मारा.” लोक विचारायचे “का?” त्यावर रामसामी सांगायचे “साप चावला तर माणूस मारतो आणि ब्राम्हण डसला तर पिढ्या न पिढ्या बरबाद होतात.” पेरियार यांच्या मते रामायण हे ब्राह्मण पुरोहितशाही वर्गाने निर्माण केलेली वर्णाश्रम व जातीव्यवस्था भारतीय समाजावर लादण्याच्या व्यापक कार्यक्रमाचे प्रतिक आहे. त्यामुळे याचा विरोध करण्यासाठी ते तामिळनाडूतील शहरात फिरून चौकाचौकात लोकांच्या घोळक्यासमोर रामाच्या प्रतिमेला जोड्याने मारत असत. ते रामाला स्त्रीवर अनन्वित अत्याचार करणारा नराधम मानत असत. रामाने सीतेच्या चारित्र्यावर लावलेला आरोप, सीतेला परत जंगलात सोडण्याचे त्याचे दुष्यकृत्य. रामाचे हे कृत्य स्वत:च्या बुद्धीचा वापर करून विचार करण्यारास मुळीच पटणार नाही. रामाने लक्ष्मण याच्या हस्ते शूर्पणखेच्या चेह-याचे केलेले विद्रुपीकरण व त्या रागातून रावणाने केलेले सीतेचे अपहरण तरीही सीतेला परिपूर्ण आपल्या ताब्यात ठेवूनही तिच्या शरीराला स्पर्शही न करणारा रावण. रावणाचे हे स्त्री सन्मानाचे चारित्र्य व कृतीसत्य आजच्या भारतीय स्त्रिस व तरुण वर्गास का उमगत नाही?. रावण इतका चारित्र्य संपन्न असूनही भारतीय स्त्री रावणाचा द्वेष व विरोध का करते?. त्यामुळे तरुण व स्त्रि वर्गास विचारावेसे वाटते कि, तुम्ही कधीपर्यंत पोथ्यातील खोट्या समजुतीमध्ये गुरफटून राहणार आहात?. कधीपर्यंत रामाच्या दुष्कृत्याला पुण्यकर्म व रावणाच्या सत्कार्याला दुष्यकृत्य समजणार आहात?. पेरियार हे दक्षिणेतील महात्मा जोतिबा फुले होते. म्हणून समस्त स्त्रियांना आवाहन करावेसे वाटते कि, तुमच्या स्वातंत्र्यासाठी झटणाऱ्या रामसामी पेरियार सारख्या महापुरुषांचा तुम्ही सत्कार व सन्मान करणार आहात कि नाही?. आपल्या डोळ्यावरील सनातनी धर्माचा पापुद्रा हटविल्याशिवाय तुम्हाला ते शक्यही नाही...!!!
पेरियार रामास्वामी नायकर जी के जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक बधाई...
जानिए कौन है पेरियार? अगर वो जिंदा हो गये तो मर जायेंगे संघी!!
जी हाँ, क्रांतिकारी और आधुनिक विचारक द ग्रेट पेरियार रामास्वामी नायकर की मूर्ति तोड़कर उन्हें जिंदा करने के लिए संघियो को बधाई ...
इस देश के इतिहास के आधुनिक युग में विज्ञान बोध और तार्किकता के एक ऐसे क्रांतिकारी विचारक थे, जिन्होंने समाज के दलित पिछड़े समुदाय को सम्मान से जीने और समाज में बराबर के अधिकार पाने का रास्ता सफलतापूर्वक दिखाया।
पेरियार एकमात्र ऐसे बडे़ कारक और विचारक थे, जिन्होंने दक्षिण भारत की राजनीति से ब्राह्मणवाद के पैर उखाड़ दिये और समाज व्यवस्था तथा राजनीति में दलित पिछडे़ समाज को वर्तमान इतिहास के शिखर पर बैठा दिया। तमिलनाडु की राजनीति में आज भी पेरियार रामास्वामी नायकर की परिकल्पना साकार हुई देखी जा सकती है। पेरियार एक अच्छे व्यवसायी परिवार में जन्मे थे लेकिन वे लगातार महसूस कर रहे थे कि ब्राह्मण, दलित और पिछड़ों को घोर अपमान के साथ नारकीय जीवन जीने को मजबूर करते रहे है । ये उसी पेरियार साहब के विचार है जिन्होंने ब्राह्मण पुत्री जयललिता और करुणानिधि को 69% आरक्षण देने के लिए बाध्य कर दिया था ....फिर वही कह रहा हूँ। जिसका श्रेय आप जयललिता को देते है! क्योंकि आप मंद बुद्धि और बेवकूफ है। आप पेरियार विरोधी मीडिया के प्रभाव में अभी भी जी रहे है।
आरक्षण माया और मुलायम को गाली देने से नहीं बल्कि पेरियार पैदा करने से मिलेगा।
पेरियार साहब के विचार:
👉 ब्राह्मण आपको भगवान के नाम पर मूर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है और स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तुम्हें अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है. देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है. मैं इस दलाली की निंदा करता हूँ और आपको भी सावधान करता हूँ कि ऐसे ब्राह्मणों का विश्वास मत करो.
👉 उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहें, उन पुराणों ओर इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवताओं को शक्ति प्रदान करते हैं. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने के लिये जिम्मेदार हैं तो ऐसे देवताओं को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानो, अगर मनुस्मृति, गीता या अन्य कोई पुराण आदि है तो इसको जलाकर राख कर दो. अगर ये मंदिर, तालाब या त्यौहार है तो इनका बहिष्कार कर दो. अगर हमारी राजनीति ऐसा करती है तो इसका खुले रूप में पर्दाफाश करो.
👉 संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं और यही नहीं, बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए हैं. इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारण उनका धार्मिक शोषण करना आसान है.
👉 आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा. अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो.
👉 ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की.
👉 सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं, तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊँच व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है.
👉 संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है, परन्तु हिंदू-आर्य, वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते हैं कि यह धर्म एकता और मैत्री के लिए नहीं है.
👉 ऊँची-ऊँची लाटें किसने बनवाईं? मंदिर किसने बनाए? क्या ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया?
👉 ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व, गुण, कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके और स्वयभू भूदेवता बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है.
👉 सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए, हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते.
👉 हमारे देश को वास्तविक आजादी तभी मिली समझाना चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता, अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जायेंगे.
👉 आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्ष यान भेज रहे है. हम ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्धो द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल ओर खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है?
👉 ब्राह्मणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नहीं रहना चाहते तो आप भले ही जहन्नुम में जाएें, परन्तु कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबतें खड़ी न करें.
👉 ब्राह्मण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है? समय बदल गया है, उन्हें नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा.
जी पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया।
########################
*पेरियार इरोड वेंकट नायकर रामसामी* (१७ सप्टेंबर, इ.स. १८७९ - २४ डिसेंबर, इ.स. १९७३) जयंती विशेष...
पेरियार रामसामी यांनी तमिळनाडूतील ब्राम्हणेत्तर समाजात समाजजागृती कशी केली होती- ब्राम्हणेत्तर समाजाची जागृती करण्यासाठी ते गळ्यात ढोल अडकावायचे व ढोलाच्या दोन्ही बाजूला देवीदेवतांची चित्रे चिटकावयाचे व त्या चिटकवलेल्या देवी-देवतांच्या फोटोला पायातील बूट व चप्पलांनी बडवायचे. ते असे यासाठी करायचे कि, आपल्या बहुजन समाजावर देवी-देवतांचा फार मोठा पगडा आहे. ब्राह्मणांनी बहुजनांच्या मनात देवी-देवतांची फार मोठी भीती निर्माण केली आहे. हा खरा दहशतवाद आहे आणि हा दहशतवाद ब्राह्मणांनी जाणीवपूर्वक निर्माण केलेला आहे. जर देवाला मानले नाही, देवाची पूजा केली नाही, देवाचा नवस फेडला नाही, देवाला नारळ फोडला नाही, देवाला उदबत्ती लावली नाही, देवाच्या पाया पडले नाही तर देव कोपतो, रागावतो, शाप देतो आणि मग आपले वाटोळे होते, आपला सत्यानाश होतो, आपल्यावर आपत्ती कोसळते, आपल्यावर संकट येते. अशा ब्राह्मणांनी थापा मारल्या आणि त्या आपल्या अज्ञानी लोकांना खऱ्या वाटल्या. हा खरा दहशतवाद आहे. तो दहशतवाद घालविण्यासाठी त्यांनी देवी-देवतांना चपलांनी बडविण्याचा कार्यक्रम केला. त्यानंतर रामसामी हे देवी-देवतांना हातगाड्यांवर ठेवायचे तो हातगाडा चेन्नईच्या चौकात आणायचे व त्या हातगाड्यावरील एका-एका देवी-देवताला पायातील पायातानाने बडवायचे व बडवतांना लोकांना सांगायचे “हा तुमचा राम, मी ह्याला चपलेने बडवतो आहे. तो राम स्वतःला वाचवू शकत नाही. तर मग तुम्हाला कसे वाचवू शकेल ?” रामाचा नंबर झाला कि, दुसऱ्या देवाला पायातील जोड्याने बडवायचे. हे देवी-देवता आपले रक्षण करतील, आपल्याला वाचवतील, आपल्या मदतीला धावून येतील अशा भ्रामक कल्पनेतून बहुजनांना बाहेर काढण्यासाठी अशाप्रकार रामसामी यांनी समाज जागृतीचे कार्य केले. रामसामी आपल्या भाषणात लोकांना विचारायचे “जर साप आणि ब्राम्हण एकाच वेळी दिसला तर तुम्ही कोणाला माराल?” लोक उत्तर द्यायचे “सापाला” त्यावर रामसामी म्हणत “सापाला बिलकुल मारू नका.” तेव्हा लोक विचारायचे, “मग कोणाला मारायचे?” त्यावर रामसामी लोकांना सांगायचे, “सापाला सोडून द्या आणि ब्राह्मण ठेचून मारा.” लोक विचारायचे “का?” त्यावर रामसामी सांगायचे “साप चावला तर माणूस मारतो आणि ब्राम्हण डसला तर पिढ्या न पिढ्या बरबाद होतात.” पेरियार यांच्या मते रामायण हे ब्राह्मण पुरोहितशाही वर्गाने निर्माण केलेली वर्णाश्रम व जातीव्यवस्था भारतीय समाजावर लादण्याच्या व्यापक कार्यक्रमाचे प्रतिक आहे. त्यामुळे याचा विरोध करण्यासाठी ते तामिळनाडूतील शहरात फिरून चौकाचौकात लोकांच्या घोळक्यासमोर रामाच्या प्रतिमेला जोड्याने मारत असत. ते रामाला स्त्रीवर अनन्वित अत्याचार करणारा नराधम मानत असत. रामाने सीतेच्या चारित्र्यावर लावलेला आरोप, सीतेला परत जंगलात सोडण्याचे त्याचे दुष्यकृत्य. रामाचे हे कृत्य स्वत:च्या बुद्धीचा वापर करून विचार करण्यारास मुळीच पटणार नाही. रामाने लक्ष्मण याच्या हस्ते शूर्पणखेच्या चेह-याचे केलेले विद्रुपीकरण व त्या रागातून रावणाने केलेले सीतेचे अपहरण तरीही सीतेला परिपूर्ण आपल्या ताब्यात ठेवूनही तिच्या शरीराला स्पर्शही न करणारा रावण. रावणाचे हे स्त्री सन्मानाचे चारित्र्य व कृतीसत्य आजच्या भारतीय स्त्रिस व तरुण वर्गास का उमगत नाही?. रावण इतका चारित्र्य संपन्न असूनही भारतीय स्त्री रावणाचा द्वेष व विरोध का करते?. त्यामुळे तरुण व स्त्रि वर्गास विचारावेसे वाटते कि, तुम्ही कधीपर्यंत पोथ्यातील खोट्या समजुतीमध्ये गुरफटून राहणार आहात?. कधीपर्यंत रामाच्या दुष्कृत्याला पुण्यकर्म व रावणाच्या सत्कार्याला दुष्यकृत्य समजणार आहात?. पेरियार हे दक्षिणेतील महात्मा जोतिबा फुले होते. म्हणून समस्त स्त्रियांना आवाहन करावेसे वाटते कि, तुमच्या स्वातंत्र्यासाठी झटणाऱ्या रामसामी पेरियार सारख्या महापुरुषांचा तुम्ही सत्कार व सन्मान करणार आहात कि नाही?. आपल्या डोळ्यावरील सनातनी धर्माचा पापुद्रा हटविल्याशिवाय तुम्हाला ते शक्यही नाही...!!!
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